हाजार प्रतिकार लेने की उपप्रान्त भी सन्तान नही होता है। लोग निराश हो जाता है। बिबाह की पश्चात् बहुत साल बीत गए लेकिन सन्तान नही होता है। ई मामला में बहुत लोगोने काल जापन कर रहा है।
मंत्र में नाना बिभाग है। तंत्र में भी नाना बिभाग देती है। तंत्र में दो पक्ष होता है। एक प्रबृत्ति आवर एक है निबृत्ति। प्रबृत्ति पक्ष में ‘ षट्कर्म ‘ का बिधान है। छे कर्म तथा शान्तिकर्म, वशीकरण , स्तंभन , उच्चाटन, ,ब्याधिकरण, ऐबों मारण है। सभी बिभाग में मंत्र की ब्याबहार किया जाता है। तंत्रशास्त्र में मंत्र की एक अनुभूत उपयोगिता है। आज इस आर्टिकल में जो मंत्र की बारेमे लिख रहा हु, इन मंत्र शांतिकर्म बिभाग में सामिल है। सन्तान होने की मंत्रो, तंत्रकी प्रबृत्ति बिभाग की अन्तर्गत शांतिकर्म में उपलब्ध होती है।
अब मायने इस मंत्र की बिधि बिधान लिख रहा हु। एक मंत्र में मेरे ब्लॉग की पाठकगण दो काम की ब्याबहार की रास्ता पायेगा। इन मंत्र सही उपाय से करनेसे होता है सन्तानलाभ। इन मंत्र से संतान लाभ की काम आसानी से पूरा कर सकते है। चाहे किसी ओरत आवर उसकी पति दोनों सक्षम होने पर भी सन्तान प्राप्ति न हो तो , इस मंत्र की हररोज एक माला करके जप करनेसे , ९० दिन में अबस्य ही गर्भधारण की लक्षण दिखाई देने लगते है अत सफलता हस्तगत होता है। गर्भधारण करने तक हररोज नियमित रूप से एक माला याने १०८ बार जप करना होगा। कृष्णा पक्ष की तृतीया से आरम्भ करके, पत्नी हररोज १०८ बार करके गर्भधारण करने तक जप करेगी। जब गर्भ धारण का निस्चय हो जाए , तब बच्चे के जन्म तक पति की मंत्र जप करनेसे अति उत्तम सन्तान प्राप्त होती हैं। जपकारी सुबह नीद से उठकर, मुख हात धो कर शुद्ध बस्त्र पहन कर, शुद्ध आसन में बैठ कर , तथा उत्तर या पूरब दिशा में मुख कर ई मंत्र जप करना होगा।
मंत्र : ” ॐ ह्रीं लज्जा जब्यं ठः ठः लः ॐ ह्रीं स्वाहाः “
সন্তান প্রাপ্তির জন্য পরীক্ষিত একটি অনন্য মন্ত্র
এই নিবন্ধে আমি এমন একটি মন্ত্র সম্পর্কে লিখছি, যে মন্ত্রটি সন্তান প্রাপ্তির ক্ষেত্রে একটি অনবদ্য ও প্রমাণিত মন্ত্র। এই মন্ত্রের প্রভাবে যে সকল মহিলার সন্তান প্রাপ্তি হয় নি , তাঁদেরও সন্তান প্রাপ্তি হয়ে থাকে। আজকের সমাজে এই সমস্যায় বহু মানুষ জর্জরিত হয়ে চলেছে। বহু প্রতিকারের পরেও এই সমস্যা থেকে মুক্তি তাঁরা পাচ্ছেন না। হাজারে বিজারে প্রতিকারের পরেও সন্তান লাভ তাঁদের কাছে সুদূর পরাহত। ভুক্তভোগীরা নিরাশ হয়ে যাচ্ছেন। বিয়ের পরে অনেক বছর কেটে গেলেও সন্তান হওয়া দূর অস্ত। এই সমস্যায় বহু লোক কালযাপন করছেন।
তন্ত্রশাস্ত্রে ‘মন্ত্রের’ নানা বিভাগ আছে। তন্ত্রে দুটি পক্ষ আছে, একটি প্রবৃত্তি ও অন্যটি হলো নিবৃত্তি পক্ষ। প্রবৃত্তি পক্ষের মধ্যে ‘ষটকর্ম’ বলে একটি বিভাগ আছে, যেটিতে বশীকরণ,আকর্ষণ, স্তম্ভন, শান্তিকর্ম , উচ্চাটন, মারণ উপায় গুলি বর্ণিত হয়েছে। যদিও এই বিভাগ গুলি গুপ্তবিদ্যা ও গুরুমুখী বিদ্যা হিসাবে তান্ত্রিকগন কর্তৃক সযত্নে লালিত হয়ে চলছে। এই নিবন্ধে আলোচিত মন্ত্রটি শান্তিকর্ম বিভাগের অন্তর্গত মন্ত্রসমূহের অন্যতম একটি মন্ত্র, যা কিনা, সন্তান লাভে বাধা থেকে পরিত্রান করে থাকে।
এখন আমি এই মন্ত্রের বিধি বিধান সম্পর্কে আমার ব্লগের পাঠক বন্ধুদের বর্ণনা করছি। আশাকরি তাঁরা এই মন্ত্রটির দ্বারা বিশেষ ভাবে উপকৃত হবেন। সব উপযোগিতা থাকা স্বত্তেও এবং বহু চেষ্টা করেও যে সব দম্পতির সন্তান লাভ হচ্ছেনা, তাঁদের ক্ষেত্রে এই মন্ত্রটি যথেষ্ট সহায়ক হবে। যে মহিলার সন্তান লাভ হয়নি , তিনি এই মন্ত্রটি জপ করবেন, তিনি প্রতিদিন সকালে ঘুম থেকে উঠে, প্রাতঃকৃত্যাদি সমাপ্ত করে, স্নান ধ্যানের পর শুদ্ধ বস্ত্র পরে, একটি শুদ্ধ আসনে বসে, উত্তর বা পূর্ব দিকে মুখ করে, এই মন্ত্রটি ১০৮ বার বা এক মালা করে জপ করবেন। ৯০ দিনে ফললাভ শুরু হয়ে যাবে। কৃষ্ণপক্ষের তৃতীয়া তিথি থেকে শুরু করে পত্নী প্রতিদিন ১০৮ বার করে সন্তান প্রাপ্তি না হাওয়া পর্যন্ত জপ করবেন। যখন গর্ভ ধারণ নিশ্চিত হয়ে যাবে , তখন থেকে পতি প্রতিদিন ১০৮ বার করে যেদিন প্রসব হবে সেই দিন পর্যন্ত জপ করলে উত্তম সন্তানের প্রাপ্তি হয়ে থাকে।
মন্ত্র : ” ওঁ হ্রীং লজ্জা যব্যং ঠঃ ঠঃ লঃ ওঁ হ্রীং স্বাহা ” ,
কোনো বিষয়ে ফললাভের সাথে আমার কোনো সম্পর্ক নেই। এটি একটি শাস্ত্র বর্ণনা ও তথ্য বিবৃতির ব্লগ, আমার বর্ণনাগুলির ফললাভের সাথে আমার কোনো যোগাযোগ থাকবেনা।