शीघ्र बिबाह ओर सन्तान प्रदाता मंत्र / সত্বর বিবাহ ও সন্তান প্রদাতা মন্ত্র

इस आर्टिकल में मैने एक अनुभूत मंत्र की आलोचना करते है , जो मंत्र की एक बहुत शक्तिशाली क्षमता होती है।  ई मंत्र की साधकको शीघ्र बिबाह हो जाते है।  एबं  जिसको सन्तान प्राप्ति नही हुआ, उसकोभी सन्तान प्राप्ति होता है। आजकाल समाज में इन दोनों समस्या से बहुत लोगो ने पड़ेसान हो रहा है।  किसी को बिबाह नही होता है, लेकिन उम्र बरते चला रहा है।
हाजार प्रतिकार लेने की उपप्रान्त भी बिबाह नही होता है।  लोग निराश हो जाता है।  बिबाह की पश्चात् बहुत साल बीत गए लेकिन सन्तान नही होता है। ई सब मामला में बहुत लोगोने काल जापन कर रहा है।


मंत्र में नाना बिभाग है।  तंत्र में भी नाना बिभाग देती है। तंत्र में दो पक्ष होता है।  एक प्रबृत्ति आवर एक है निबृत्ति। प्रबृत्ति पक्ष में ‘ षट्कर्म ‘ का बिधान है।  छे कर्म तथा शान्तिकर्म, वशीकरण , स्तंभन , उच्चाटन, ,ब्याधिकरण, ऐबों मारण  है।  सभी बिभाग में मंत्र की ब्याबहार किया जाता है।  तंत्रशास्त्र में मंत्र की एक अनुभूत उपयोगिता है। आज इस आर्टिकल में जो मंत्र की बारेमे लिख रहा हु, इन मंत्र शांतिकर्म बिभाग में सामिल है।  बिबाह  आवर सन्तान  होने की मंत्रो, तंत्रकी प्रबृत्ति बिभाग की अन्तर्गत शांतिकर्म में उपलब्ध होती है।

अब मायने इस मंत्र की बिधि बिधान लिख रहा हु।  एक मंत्र में मेरे ब्लॉग की पाठकगण दो काम की ब्याबहार की रास्ता पायेगा।  एक बिबाह दो है सन्तानलाभ।  एक ही मंत्र से दोनों काम आसानी से पूरा कर सकते है।  चाहे किसी का बिबाह न होता हो या सक्षम होने पर भी सन्तान प्राप्ति न हो तो , इस मंत्र की हररोज एक माला करके जप करनेसे , ९० दिन में बिबाह होने या गर्भधारण की लक्षण दिखाई देने लगते है अत सफलता हस्तगत होता है।  एक माला याने १०८ बार जप करना होगा।  जपकारी सुबह नीद से उठकर, मुख हात  धो कर शुद्ध बस्त्र पहन कर, शुद्ध आसन में बैठ कर , तथा उत्तर या पूरब दिशा में मुख कर ई मंत्र जप करना होगा।

मंत्र :  ” स देबि नित्यं परीततप्यमान , त्यामेब सीतेत्यभिभाषमाणः।
दृढब्रतो राहसुती महात्मा , तबैब लाभाय कृत प्रयत्न: । .

সত্বর বিবাহ ও সন্তান প্রদাতা মন্ত্র

এই নিবন্ধে আমি যে মন্ত্রটি সম্পর্কে আলোচনা করছি সেটি এমন একটি শক্তিশালী মন্ত্র, যা কিনা শীঘ্র বিবাহ ও সন্তান প্রদাতা মন্ত্র হিসাবে তন্ত্র শাস্ত্রে বর্ণিত হয়েছে।  সব উপযোগিতা থাকা স্বত্তেও যে সব পাত্র বা পাত্রীর বিবাহ হচ্ছেনা, এবং বহু চেষ্টা করেও যে সব দম্পতির  সন্তান লাভ হচ্ছেনা, তাঁদের ক্ষেত্রে এই মন্ত্রটি যথেষ্ট সহায়ক বলে মনে করা হয়। এখন কার দিনে প্রায় ঘরেই এই দুটি সমস্যা একটি জ্বলন্ত সমস্যা, এই বিষয়ে কোনো সন্দেহ নেই।
হাজার প্রতিকার করেও কোনো উপকার না পেয়ে মানুষ দিকভ্রান্ত হয়ে পড়ছে।  অথবা বিবাহের পরে সন্তান ধারণে অযথা বিলম্ব হওয়াতে মানুষ অসহায় বোধ করছেন, তাঁরা বুঝে উঠতে পারছেন না, কি করলে এই সব অসহায়তা থেকে মুক্তি পাবেন, হাজার পত্রিকায় বিবাহের বিজ্ঞাপন দিয়ে, হাজার অনলাইন ম্যারেজ ম্যাট্রিমোনি তে চেষ্টা করে, হাজার ডাক্তার, হাজার কবিরাজ ,হাজার জ্যোতিষী দেখিয়েও তাঁরা আজ নিতান্ত অসহায়, বিভ্রান্ত।

তন্ত্রশাস্ত্রে ‘মন্ত্রের’ নানা বিভাগ আছে।  তন্ত্রে দুটি পক্ষ আছে, একটি প্রবৃত্তি ও অন্যটি হলো নিবৃত্তি পক্ষ।  প্রবৃত্তি পক্ষের মধ্যে ‘ষটকর্ম’ বলে একটি বিভাগ আছে, যেটিতে বশীকরণ,আকর্ষণ, স্তম্ভন, শান্তিকর্ম , উচ্চাটন, মারণ উপায় গুলি বর্ণিত হয়েছে।  যদিও এই বিভাগ গুলি গুপ্তবিদ্যা ও গুরুমুখী বিদ্যা হিসাবে তান্ত্রিকগন কর্তৃক সযত্নে লালিত হয়ে চলছে। এই নিবন্ধে আলোচিত মন্ত্রটি শান্তিকর্ম বিভাগের অন্তর্গত মন্ত্রসমূহের অন্যতম একটি মন্ত্র, যা কিনা, শীঘ্র বিবাহ, সন্তান লাভে বাধা থেকে পরিত্রান করে থাকে।


এখন আমি এই মন্ত্রের বিধি বিধান সম্পর্কে আমার ব্লগের পাঠক বন্ধুদের বর্ণনা করছি।  আশাকরি তাঁরা এই মন্ত্রটির দ্বারা বিশেষ ভাবে উপকৃত হবেন।  সব উপযোগিতা থাকা স্বত্তেও যে সব পাত্র বা পাত্রীর বিবাহ হচ্ছেনা, এবং বহু চেষ্টা করেও যে সব দম্পতির  সন্তান লাভ হচ্ছেনা, তাঁদের ক্ষেত্রে এই মন্ত্রটি যথেষ্ট সহায়ক হবে।  যিনি এই মন্ত্রটি জপ করবেন, তিনি প্রতিদিন সকালে ঘুম থেকে উঠে, প্রাতঃকৃত্যাদি সমাপ্ত করে, স্নান ধ্যানের পর শুদ্ধ বস্ত্র পরে, একটি শুদ্ধ আসনে বসে, উত্তর বা পূর্ব দিকে মুখ করে, এই মন্ত্রটি ১০৮ বার বা এক মালা করে জপ করবেন। ৯০ দিনে ফললাভ শুরু হয়ে যাবে।

কোনো বিষয়ে ফললাভের  সাথে আমার কোনো সম্পর্ক নেই।  এটি একটি শাস্ত্র বর্ণনা ও তথ্য বিবৃতির ব্লগ, আমার বর্ণনাগুলি র ফললাভের সাথে আমার কোনো যোগাযোগ থাকবেনা।

মন্ত্র  :  ” সা দেবী নিত্য পরিত্প্যমান, সীতেত্যভিভাষমান : 
            দৃঢ়ব্রতঃ রাজসূত মহাত্মা, তবৈব লাভায় কৃত প্রযত্ন: ” 

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